God, Enlightenment & Comparisons - Q & A with Brahmarshi Patriji

ब्रह्मर्षि पितामह पत्री जी के साथ एक दुर्लभ संवाद
"ध्यान ही धर्म है, आत्मा ही गुरु है, अनुभव ही सत्य है।"
प्र. क्या किसी चीज़ का विश्लेषण करने से हमारी विकास की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी?'
पत्री जीः हर कोई मूर्खतापूर्ण विश्लेषण का शिकार है। अगर कोई सपना आता है तो मुझे यह बुरा सपना क्यों आया? मुझे ध्यान में अनुभव क्यों नहीं हो रहा है? मुझे ध्यान में अनुभव क्यों हो रहा है? हर कोई हर स्थिति का विश्लेषण कर रहा है। मैं उस सभी विश्लेषण के खिलाफ हूँ, यही मेरा मौलिक ज्ञान है। मैं उनके विश्लेषण को रोककर सभी की मदद करने में सक्षम हूँ। बस वही करें जो आप करना चाहते हैं और प्रसन्नता से जीएं।
विश्राम की कला और विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। हर विचार का और शब्द का विश्लेषण क्यों कर रहे हैं। PSSM विश्लेषण विरोधी है। अपने जीवन की स्थिति का विश्लेषण न करें, चाहे आप अमीर हों या गरीब।
अपने सपनों के अनुभव का विश्लेषण न करें।
अपने ध्यान के अनुभव का विश्लेषण न करें। उन पर मनन करो लेकिन उनका विश्लेषण मत करो और वास्तव में, यदि आप विश्लेषण करने में सक्षम है, जैसा कि थिंकिंग एंड डेस्टिनी पुस्तक में कहा गया है आप जीवन की सुंदरता देख सकते हैं, यही वास्तविक विश्लेषण है, वास्तविक चिंतन है।
वास्तविक चिंतन ही वास्तविक विश्लेषण है जिसमें आप सब कुछ समझते हैं। मूर्खतापूर्ण विश्लेषण से आप स्वयं को भ्रमित कर रहे हैं। लेकिन सच्ची सोच से आप सब कुछ समझ जाते हैं। इतना विश्लेषण करने की बजाय हमें अपने ध्यान को बढ़ाना चाहिए।
प्र. पत्री जी आप कहते हैं कि 'हम सभी ईश्वर हैं', पर मैं कुछ भी सृजन नहीं कर सकता तो मैं ईश्वर कैसे हुआ? कृपया बताएं?
पत्री जीः अभी आपने एक प्रश्न का सृजन किया और उस प्रश्न को मुझे बताया तो आप सृजनकर्ता हुए। मैंने उस प्रश्न का उत्तर आपके लिए सृजन किया।
हम तीन रूप में हैं। हम ब्रह्मा के स्वरूप में सृजनकर्ता है, विष्णु के रूप में पालनकर्ता है और शिव के रूप में लयकर्ता हैं। ये तीन मुख्य आयाम हैं। आपने अपने भौतिक शरीर का निर्माण किया फिर उस शरीर में प्रवेश करके, उस में रहकर आप उस का पालन कर रहे हैं। कुछ समय के पश्चात आप अपने भौतिक शरीर को त्याग देंगे अर्थात शिव के रूप में उसका लय कर देंगे। अपने भ्रम के भी आप सूजनकर्ता, निर्वाहक और संहारकर्ता है।
प्र. 'प्रबोधन क्या है?'
पत्री जीः प्रबोधन का अर्थ है कि आप ये भौतिक तत्व नहीं, आप मन हैं। चेतना का भौतिक तत्व से मन की ओर मुड़ने का नाम ही प्रबोधन है। हम अणु, परमाणु, प्रोटॉन्स, न्यूट्रॉन्स और इलेक्ट्रॉन्स नहीं हैं, हम विशुद्ध चेतना हैं। जब ये बात आप जीवन की हर परिस्थिति में याद रखते हैं तभी आप प्रबुद्ध हैं।
आपको यह समझना होगा कि जो कुछ भी आप हैं वही आसपास की हर वस्तु है। जो कुछ भी पत्री जी हैं, वही आप हैं। कोई भी अंतर नहीं है क्योंकि एक ही चेतना हर जगह शरीर और मन के द्वारा कार्य कर रही है। जब आपको यह ज्ञान हो जाए कि सारी सृष्टि, सारे सृजन में एक ही चेतना है, तब आप प्रबुद्ध हो जाते हैं।
मानव जीवन का लक्ष्य प्रबुद्ध होना है और एक बार जब आप प्रबुद्ध हो जाते हैं तब दूसरा उद्देश्य प्रारंभ होता है, दूसरों को प्रबुद्ध करना। उनकी सहायता के लिए जिस तरह भी हो सके हाथ बढ़ाना। दूसरों को प्रबोधन के बारे में जागरूक करना।
आइये जानते हैं ब्रह्मर्षि पत्रीजी के बारे में:
11 नवम्बर 1947 को तेलंगाना के बोधन में जन्मे ब्रह्मर्षि पितामह पत्रीजी न केवल एक महान ध्यान साधक थे, बल्कि उन्होंने विश्व स्तर पर एक चेतना क्रांति का सूत्रपात किया। Pyramid Spiritual Societies Movement (PSSM) के संस्थापक के रूप में उन्होंने जीवन भर शाकाहार, ध्यान, आत्मज्ञान और पिरामिड ऊर्जा के संदेश को फैलाया।
उनका संकल्प था – “हर मानव आत्मज्ञानी बने, ध्यान करे और करुणा से जिए।”
उन्होंने न किसी धर्म को अपनाया, न किसी पूजा पद्धति को— उनका एक ही मार्ग था: "साँस पर ध्यान।"
आज भी उनके विचार, अनुभव और उत्तर, लाखों साधकों के जीवन का मार्गदर्शन कर रहे हैं।